बुधवार, 28 अप्रैल 2021

दूरियाँ बढ़ सी गई हैं दरमियाँ

 


दूरियाँ बढ़ सी गई हैं दरमियाँ

पर प्यार अब भी वही है

जो कभी हमने किया था

जो कभी तुमने दिया था

फ़ासले  जाएँगे ये कभी सोचा  था

पर नज़दीकियाँ अब भी वही हैं

दो कदम जो तुम चले थे

दो कदम जो हम बढ़े थे

रास्ते कुछ हैं ख़फ़ा से हैं कई शिकायतें

पर मंज़िलें अब भी वही है

जो कभी तुमने बुनी थी 

जो कभी हमने चुनी थी

दिल दुखा है,आँखें नम हैहै कई रुसवाइयाँ

पर हसरतें अभी भी वही हैं

जो कभी तुम चाहते थे

जो कभी हम माँगते थे

उलझनें हैदर्द हैहैं कई बेचैनियाँ

पर राहतें अब भी वही हैं

जो कभी तुमसे मिली थी

जो कभी हमको अता थी

दूरियाँ बढ़ सी गईं हैं दरमियाँ......


  • अनु मिश्र