दूरियाँ बढ़ सी गई हैं दरमियाँ
पर प्यार अब भी वही है
जो कभी हमने किया था
जो कभी तुमने दिया था
फ़ासले आ जाएँगे ये कभी सोचा न था
पर नज़दीकियाँ अब भी वही हैं
दो कदम जो तुम चले थे
दो कदम जो हम बढ़े थे
रास्ते कुछ हैं ख़फ़ा से हैं कई शिकायतें
पर मंज़िलें अब भी वही है
जो कभी तुमने बुनी थी
जो कभी हमने चुनी थी
दिल दुखा है,आँखें नम है, है कई रुसवाइयाँ
पर हसरतें अभी भी वही हैं
जो कभी तुम चाहते थे
जो कभी हम माँगते थे
उलझनें है, दर्द है, हैं कई बेचैनियाँ
पर राहतें अब भी वही हैं
जो कभी तुमसे मिली थी
जो कभी हमको अता थी
दूरियाँ बढ़ सी गईं हैं दरमियाँ......
- अनु मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें