शुक्रवार, 29 मई 2020

दुनिया में हर किसी को




Sometimes Silence – Midwest Fantasy Writes

दो पल सुकुं की साँसे 
कुछ हसरतों के मेले 
होता नहीं मयस्सर दुनिया में हर किसी को। 

कुछ चाहतों की बातें 
कुछ सर्दियों की रातें 
बनता नहीं मुक्द्दर दुनिया में हर किसी का।

कुछ ख़्वाहिशों की गर्मी 
कुछ राहतों की नर्मी
होती नहीं मुनासिब दुनिया में हर किसी को। 

नाबाद सी मोहब्बत 
बेदाग सी कहानी 
होती नहीं मुकम्मल दुनिया में हर किसी को। 


     - अन्नु मिश्र 

मंगलवार, 12 मई 2020

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर




मैं भटकता मुसाफ़िर मंजिल की तालाश में दर दर,
न कोई ओर दिखता है न कोई छोड़ दिखता है।
इधर भी रास्ता तनहा उधर भी है अकेलापन,
यहाँ की शाम बोझिल है वहाँ हर रात अंधेरापन।
मेरे तकदीर की कोरी पटल पर एक स्याही है,…
वही श्यामल वही काली आमावस की लाली है।
मुकम्मल हो मुकद्दर हर मुसाफ़िर का नहीं वाज़िब,
कहीं बस रास्ते ही हैं मुकर्रर चलने को तनहा।
कहीं मंजिल भी है जो राह को पहचान देती हैं,
कहीं राही भी हैं जो चल रहें पहचान पाने को।
मेरे इन रास्तों को शायद नहीं दरकार मंजिल की,
या मंजिल ही नहीं मेरे सफर की अबतलक कोई।
कहीं ऐसा न हो इन रास्तों में ही हो बसर मेरा,
न मिल सकी जो अभी तक वो होना लाजिमी न हो।

                                                                 -अनु मिश्र....