
दो पल सुकुं की साँसे
कुछ हसरतों के मेले
होता नहीं मयस्सर दुनिया में हर किसी को।
कुछ चाहतों की बातें
कुछ सर्दियों की रातें
बनता नहीं मुक्द्दर दुनिया में हर किसी का।
कुछ ख़्वाहिशों की गर्मी
कुछ राहतों की नर्मी
होती नहीं मुनासिब दुनिया में हर किसी को।
नाबाद सी मोहब्बत
बेदाग सी कहानी
होती नहीं मुकम्मल दुनिया में हर किसी को।
- अन्नु मिश्र
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