तुम कब तक साथ निभाओगे,
तुम कैसे प्यार जताओगे,
न अब तक कोई थाम सका,
न अब तक कोई जान सका,
न अब तक कोइ मान सका,
मेरा अपना, मुझको अपना।
मेरा सपना सब व्यर्थ रहा,
सब टूटा मुझसे सब छूटा,
न पाया कुछ सब कुछ खाया,
न मूल बचा न ब्याज रहा,
सुर भूले बेसुर साज रहा,
तुम कौन सा राग सजाओगे,
क्या कह मुझको मुस्काओगे,
तुम कैसे साथ निभाओगे।
राहें मंजिल सब धुंधली सी,
रुत पतझड मेरे जीवन की,
न कोई आस -
उम्मीद बची,
बस रहा अंधेरा –
तन्हाई,
तुम कैसे दीप जलाओगे,
क्या कह मुझको बहलाओगे,
संग मेरे रुक नहीं पाओगे,
तुम कब तक साथ निभाओगे।
-अनु मिश्र
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