शनिवार, 19 सितंबर 2020

तुम कब तक साथ निभाओगे



तुम कब तक साथ निभाओगे,

तुम कैसे प्यार जताओगे,

न अब तक कोई थाम सका,

न अब तक कोई जान सका,

न अब तक कोइ मान सका,

मेरा अपना, मुझको अपना।

मेरा सपना सब व्यर्थ रहा,

सब टूटा मुझसे सब छूटा,

न पाया कुछ सब कुछ खाया,

न मूल बचा न ब्याज रहा,

सुर भूले बेसुर साज रहा,

तुम कौन सा राग सजाओगे,

क्या कह मुझको मुस्काओगे,

तुम कैसे साथ निभाओगे।

राहें मंजिल सब धुंधली सी,

रुत पतझड मेरे जीवन की,

न कोई आस - उम्मीद बची,

बस रहा अंधेरा तन्हाई,

तुम कैसे दीप जलाओगे,

क्या कह मुझको बहलाओगे,

संग मेरे रुक नहीं पाओगे,

तुम कब तक साथ निभाओगे।

-अनु मिश्र 

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