शनिवार, 10 सितंबर 2022

जो दिल को चुभ रहा है वो नज़र में क्यों नहीं आता














जो दिल को चुभ रहा है वो,

नज़र में क्यों नहीं आता?

है बंधन ग़र ये पल भर का 

तो क्यों फिर टूट नहीं जाता?

ये आते-जाते मौसम सी, 

वफ़ाओं की रवानगी,

कशिश सी खींचती है जो,

कसक बन जाती है दिल की

अभी थे साये में जिनके,

गुज़रते आते जाते पल,

वो साया हट रहा तो फिर,

ये संग क्यों छूट नहीं जाता

जो दिल को चुभ रहा है वो,

 नज़र में क्यों नहीं आता?

-अनु मिश्र

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